IPL प्लेयर ट्रेड क्या होता है? इसके नियम क्या हैं और कब और कैसे होता है, सब जान लीजिए


What Is A Player Trade: आईपीएल 2024 के ऑक्शन से पहले रविवार को सभी 10 फ्रेंचाइजी ने अपने रिटेन और रिलीज किए गए खिलाड़ियों की लिस्ट जारी है। इसके बाद टूर्नामेंट के इतिहास का सबसे बड़ा ट्रेड देखने को मिला, हार्दिक पांड्या कैश डील में गुजरात टाइटंस से वापस अपनी पुरानी टीम मुंबई इंडियंस में लौट गए। आइए जानते हैं आईपीएल प्लेयर ट्रेड होता, इसके क्या नियम हैं।  

प्लेयर ट्रेड क्या होता है और कब हो सकता है? 

जब एक खिलाड़ी एक आईपीएल फ्रेंचाइजी से जिसने उसे खरीदा होता है उससे ट्रेडिंग विंडो के दौरान दूसरी फ्रेंचाइजी में जाता है। एक ट्रेड में दो तरह से होती है, कैश डील या फिर खिलाड़ी के बदले खिलाड़ी। आईपीएल के नियमों के अनुसार प्लेयर ट्रेडिंग विंडो एक सीजन के खत्म होने के एक महीने बाद खुलती है और ऑक्शन के एक हफ्ते तक खेली रहती है। फिर ऑक्शन के बाद अगले सीजन के शुरू होने से एक महीने पहले तक ट्रेडिंग विंडो खुली रहती है। मौजूदा ट्रेडिंग विंडो 12 दिसंबर तक खुली हुई है, क्योंकि ऑक्शन 19 दिसंबर को होना है। फिर 20 दिसंबर से आईपीएल 2024 की शुरूआत से एक महीने पहले तक खेली रहेगी। 

प्लेयर ट्रेड की शुरूआत कब हुई थी?

आईपीएल में ट्रेडिंग विंडो की 2009 में शुरू हुई थी, जब मुंबई इंडियंस ने आशीष नेहरा के बदले दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) से शिखर धवन को अपनी टीम में शामिल किया था। 

एक तरफा ट्रेड क्या होता है?

जब एक खिलाड़ी टीम ए से टीम बी में जाता है कैश डील में। टीम बी इसमें टीम ए को वो रकम देती है जिसे उसने उस खिलाड़ी के लिए प्लेयर ऑक्शन में दी होती है। हार्दिक पांड्या के मामले में गुजरात टाइटंस को मुंबई इंडियंस से वो रकम मिली है, जो उसने आईपीएल 2022 के ऑक्शन के दौरान उन्हें खरीदने के लिए खर्च की थी। 

दो तरफा ट्रेड क्या होता है

जब दोनों फ्रेंचाइजी एक खिलाड़ी की जगह दूसरा खिलाड़ी लेती हैं, इसमें दोनों के प्राइस के बीच के अंतर की रकम एक टीम दूसरी टीम को देती है।

क्या खिलाड़ी ट्रेड में कोई रोल निभा सकते हैं? इसकी शुरूआत कर सकता है

किसी ट्रेड से पहले खिलाड़ी की सहमति जरूरी है। हार्दिक के मामले में गुजरात टाइटंस के डायरेक्टर ऑफ क्रिकेटर विक्रम सोलंकी ने बताया कि उन्होंने मुंबई में वापस जाने की इच्छा जाहिर की थी।

अगर खिलाड़ी ट्रेड चाहता है और टीम नहीं

फ्रेंचाइजी का फैसला आखिरी होगा कि वह उस खिलाड़ी को अपने साथ रखना चाहती है या फिर जाने देना चाहती है। 

ट्रांसफर फीस क्या होती है? कौन तय करता है? इसकी कोई सीमा है?

ट्रांसफर फीस वो रकम होती है तो एक ट्रेड के दौरान एक फ्रेंचाइजी दूसरी को देती है, यह ऑक्शन वाली रकम से अलग होती है। हार्दिक के मामले में मुंबई ने टाइटंस को ट्रांसफर फीस दी है, इससे फ्रेंचाइजी के ऑक्शन पर्स पर कोई असर नहीं पड़ेगी। ट्रांसफर फीस ट्रेड पूरी होने से से पहले दोनों फ्रेंचाइजी की आपसी सहमति से तय होती है। ट्रांसफर फीस की कोई सीमा नहीं है और रकम के बारे में सिर्फ आईपीएल और ट्रेड में शामिल हुई दोनों फ्रेंचाइजी को पता होता है। 

क्या खिलाड़ी को ट्रांसफर फीस से हिस्सा मिलता है?

कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार एक खिलाड़ी को ट्रांसफर फीस का 50 प्रतिशतक तक मिल सकता है, लेकिन यह निर्भर करता है खिलाड़ी और उसे बेचने वाली टीम के बीच हुए करार पर। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि खिलाड़ी को ट्रांसफर फीस से हिस्सा मिले। 

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