Ranji Trophy Final: मुंबई ने 42वीं बार जीती ट्रॉफी, फाइनल में विदर्भ को 169 रनों से हराया


 अजिंक्य रहाणे की कप्तानी वाली मुंबई ने विदर्भ को हराकर इतिहास में 42वीं बार रणजी ट्रॉफी जीत ली है। फाइनल जीतने के लिए मुंबई ने विदर्भ के सामने 538 रनों का लक्ष्य रखा था लेकिन आखिरी दिन विदर्भ की टीम 368 रन बनाकर ऑलआउट हो गई और मुंबई ने ये मैच 169 रनों से जीत लिया। लेकिन अगर आप ये सोच रहे हैं कि मुंबई ने ये मैच आसानी से जीत लिया तो आप गलत सोच रहे हैं क्योंकि इस मैच के आखिरी दिन कई पल ऐसे आए जब लगा कि विदर्भ ना सिर्फ इस मैच को बचा सकता है बल्कि जीतने के बारे में भी सोच सकता है।

खेल को अंतिम दिन तक ले जाने का श्रेय विदर्भ के बल्लेबाजों को दिया जाना चाहिए। आखिरी दिन कप्तान अक्षय वाडकर ने शतक लगाकर अपनी टीम की उम्मीदों को जिंदा रखा था। उनके और हर्ष दूबे के बीच हुई शतकीय साझेदारी ने मुंबई की धड़कनें बढ़ा दी थीं लेकिन लंच के बाद जैसे ही अक्षय ने शतक बनाकर अपना विकेट गंवाया वैसे ही विदर्भ की पारी बिखर गई।

विदर्भ ने अपने आखिरी पांच विकेट सिर्फ 15 रन पर खो दिए और मुंबई को उनकी 42वीं ट्रॉफी मिल गई। पहली पारी में खराब बल्लेबाजी करने वाली विदर्भ ने दूसरी पारी में लड़ने का ज़ज्बा दिखाया। करुण नायर (74) और हर्ष दूबे (65) ने अर्द्धशतक लगाए तो वहीं, कप्तान अक्षय ने शतक लगाकर मुंबई के पसीने छुड़ाने का काम किया। मुंबई के लिए दूसरी पारी में तुनष कोटियान ने सबसे ज्यादा 4 विकेट लिए।

वहीं, पहली पारी में मुंबई की टीम भी कुछ खास नहीं कर पाई थी और 224 रन बनाकर ऑलआउट हो गई थी। मुंबई को 224 रनों पर रोकने के बाद विदर्भ के पास मैच में पकड़ बनाने का अच्छा मौका था लेकिन विदर्भ के बल्लेबाजों ने गेंदबाजों की मेहनत पर पानी फेर दिया। पहली पारी में विदर्भ की टीम सिर्फ 105 रनों पर सिमट गई और इस तरह मुंबई को पहली पारी में 119 रनों की बड़ी बढ़त मिल गई। इसके बाद दूसरी पारी में मुंबई ने पहली पारी की गलती को नहीं दोहराया और दूसरी पारी में 418 रन बोर्ड पर लगा दिए। मुंबई के लिए दूसरी पारी में मुशीर खान ने (136) शतक लगाया जबकि श्रेयस अय्यर (95) अपने शतक से चूक गए।

वहीं, शम्स मुलानी और कप्तान अजिंक्य रहाणे ने भी अर्द्धशतक लगाकर टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचाने में मदद की। विदर्भ के लिए दूसरी पारी में हर्ष दूबे ने 5 विकेट जरूर लिए लेकिन दूसरे छोर से उन्हें ज्यादा साथ नहीं मिला और यही कारण रहा कि मुंबई की टीम ने विदर्भ को मैच जीतने के लिए 538 रनों का लक्ष्य दिया और अंत में ये लक्ष्य पहाड़ जैसा साबित हुआ।

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