1975 वर्ल्ड कप का इतिहास, इंडिया जीता सिर्फ एक मैच और फाइनल में हार गया ऑस्ट्रेलिया

 


वर्ल्ड कप 2023 का आगाज़ कुछ ही दिनों में होने जा रहा है। ये क्रिकेट इतिहास का 13वां वर्ल्ड कप होने वाला है लेकिन वर्ल्ड कप की शुरुआत वर्ष 1975 में हुई थी जब पहला वर्ल्ड कप इंग्लैंड में खेला गया था। आज हम इतिहास में जाएंगे और उस पहले वर्ल्ड कप के सफर के बारे में आपको बताएंगे कि कैसे 48 साल पहले क्रिकेट के इस महाकुंभ की शुरुआत हुई थी।

1975 वर्ल्ड कप की शुरुआत

1975 क्रिकेट वर्ल्ड कप (आधिकारिक तौर पर प्रूडेंशियल कप '75 कहा जाता है) पुरुषों का पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप था और वनडे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में पहला बड़ा टूर्नामेंट था। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) द्वारा आयोजित, ये टूर्नामेंट 7 जून से 21 जून 1975 के बीच इंग्लैंड में हुआ। ये टूर्नामेंट प्रूडेंशियल एश्योरेंस कंपनी द्वारा प्रायोजित था और इसमें आठ देशों ने भाग लिया था। उस समय की छह टेस्ट खेलने वाली टीमें- ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, वेस्ट इंडीज थी और उस समय के दो प्रमुख एसोसिएट देश - श्रीलंका और पूर्वी अफ़्रीका को चार-चार के दो ग्रुपों में विभाजित किया गया था। 

हर टीम अपने ग्रुप में एक-दूसरे से एक बार खेली थी और उसके बाद हर ग्रुप से टॉप दो टीमों ने सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई किया था। उस समय 60 ओवर का एक मैच होता था। उस समय खिलाड़ी क्रिकेट की पारंपरिक पोशाक यानी सफेद कपड़े पहनते थे। सभी मैच दिन में ही होते थे और मैच कुल 120 ओवर का होता था। इसलिए मैच जल्दी ही शुरू हो जाते थे।

8 टीमों का ग्रुप

इस वर्ल्ड कप में 8 टीमों को दो ग्रुप में बांटा गया जिसमें पहले ग्रुप में इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, भारत और ईस्ट अफ़्रीका की टीमें थीं, तो दूसरे ग्रुप में वेस्टइंडीज़, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और श्रीलंका की टीमें थी। 

1975 वर्ल्ड कप में भारत का रिकॉर्ड

इंग्लैंड के खिलाफ हार के बाद ईस्ट अफ़्रीका के ख़िलाफ़ मैच में भारत ने 10 विकेट से जीत हासिल की थी और इस मैच में सुनील गावस्कर ने 86 गेंद पर नाबाद 65 रनों की पारी खेली और पारी में नौ चौके भी लगाए। भारत इस वर्ल्ड कप में सिर्फ़ एक मैच ही जीत पाया और वो जीत ईस्ट अफ़्रीका के ख़िलाफ़ आई थी।

सुनील गावस्कर के करियर की सबसे खराब पारी

इसी वर्ल्ड कप की बात है जिसमें एक मैच में भारत के महान सुनील गावस्कर ने पूरे 60 ओवर बल्लेबाज़ी की और सिर्फ़ 36 रन बनाए थे। अपनी पारी में उन्होंने सिर्फ़ एक चौका लगाया था। ये मैच इंग्लैंड के ख़िलाफ़ था। इंग्लैंड ने लॉर्ड्स के मैदान पर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 60 ओवर में चार विकेट पर 334 रन बनाए थे लेकिन जवाब में भारत ने 60 ओवर में तीन विकेट पर 132 रन बनाए। गावस्कर ने 174 गेंद का सामना किया और एक चौके की मदद से सिर्फ़ 36 रन बनाए और नाबाद रहे। कहा जाता है कि वनडे क्रिकेट का विरोध करने के लिए गावस्कर ने ऐसी धीमी पारी खेली थी। इस वर्ल्ड कप में भारत के कप्तान श्रीनिवास वेंकटराघवन थे।

1975 वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल की कहानी

इस वर्ल्ड कप में पहले ग्रुप से इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड की टीमें सेमीफाइनल में पहुंचीं, तो दूसरे ग्रुप से वेस्टइंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया की टीमें सेमीफाइनल में पहुंची। टूर्नामेंट का पहला सेमीफाइनल इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने चार विकेट से जीत दर्ज करके फाइनल में प्रवेश किया। इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड की टीम सिर्फ़ 93 रन बनाकर आउट हो गई थी जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने इस लक्ष्य को 6 विकेट गंवाकर हासिल कर लिया।

वहीं, दूसरे सेमीफ़ाइनल में वेस्टइंडीज़ का सामना न्यूज़ीलैंड से था। इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूज़ीलैंड ने 158 रन बनाए लेकिन वेस्टइंडीज़ की टीम ने इस लक्ष्य को आसानी से पांच विकेट गंवाकर हासिल कर लिया। वेस्टइंडीज को फाइनल का टिकट दिलाने में कालीचरण (72) और ग्रीनिज़ (55) ने अहम भूमिका निभाई। इस तरह ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज की टीमों ने क्रिकेट वर्ल्ड कप 1975 के फाइनल में प्रवेश कर लिया। 

1975 वर्ल्ड कप फाइनल

क्रिकेट इतिहास के पहले वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर खेला गया। इस रोमांचक फाइनल में पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज़ ने अपने कप्तान क्लाइव लॉयड के शानदार शतक (102) और रोहन कन्हाई के 55 रनों की मदद से निर्धारित 60 ओवर्स में आठ विकेट के नुकसान पर 291 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 292 रनों का मुश्किल लक्ष्य दिया।

इस लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने शुरुआत तो अच्छी की थी। एक समय ऑस्ट्रेलिया ने 2 विकेट के नुकसान पर 115 रन बना लिए थे लेकिन यहां से उनके साथ ऐसी ट्रैजेडी हुई जो शायद बहुत कम देखने को मिलती है। कंगारू टीम के 5 बल्लेबाज इस मैच में रनआउट हुए और जिस टीम के पांच बल्लेबाज रन आउट हो जाएं वो भला कैसे जीत सकती है। यही कारण था कि ऑस्ट्रेलियाई टीम 58.4 ओवर में 274 रन बनाकर ऑलआउट हो गई और वेस्टइंडीज ने 17 रन से फाइनल जीतकर इतिहास रच दिया।a

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