विशाखापत्तनम टेस्ट के दौरान वैसे तो कई रिकॉर्ड/मुद्दे चर्चा में रहे पर सबसे ज्यादा चर्चा रविचंद्रन अश्विन के पारिवारिक मेडिकल इमरजेंसी की वजह से दो दिन बाद टेस्ट से हटने की खबर पर हुई। मुद्दा था अश्विन की जगह टीम में 'उन्हीं की तरह के' सब्स्टीट्यूट (जो बैटिंग और गेंदबाजी भी करे) के खेलने का। क्रिकेट लॉ में ऐसी कोई व्यवस्था न होने के बावजूद ऐसा सोचा गया। इस दौरान, वास्तव में जिस एक मिसाल का जिक्र होना चाहिए था- अब उसी की बात करते हैं।
सीधे 1982-83 के टीम इंडिया के वेस्टइंडीज टूर पर चलते हैं। एंटीगा में 5वें टेस्ट से पहले सीरीज का फैसला हो चुका था- वेस्टइंडीज ने किंग्स्टन और ब्रिजटाउन टेस्ट जीत लिए थे। इस टेस्ट के लिए सेंट जॉन्स की पिच सपाट और आसान दिख रही थी और नजर आ रहा था कि बल्लेबाज चमकेंगे। वही हुआ- 6 ने 100 बनाए जबकि 2 ने धमाकेदार 90 बनाए।
टेस्ट देरी से शुरू हुआ और भारत ने पहले बैटिंग की। एंडी रॉबर्ट्स, माइकल होल्डिंग, मैल्कम मार्शल और डेब्यू कर रहे विंस्टन डेविस के अटैक में होने के बावजूद भारतीय बल्लेबाज बड़े आराम से खेले। दिलीप वेंगसरकर (103 गेंद पर 94) और मोहिंदर अमरनाथ (54) की बदौलत पहले दिन स्कोर 188/4 था। दूसरा दिन कपिल देव (97 गेंद में 98) और रवि शास्त्री (367 मिनट में 102) का था- दोनों ने 6वें विकेट के लिए 156 रन की बड़ी पार्टनरशिप की और भारत ने कुल 457 रन बनाए।
जब वेस्टइंडीज की पारी शुरू हुई तो ये तो साफ़ था कि वे भी बड़े स्कोर के इरादे के साथ खेलेंगे और इसमें सबसे बड़ा रोल दोनों ओपनर का था। ग्रीनिज ने पिछले 6 साल से टेस्ट में कोई 100 नहीं लगाया था (आखिरी था : 1977 में किंग्स्टन में पाकिस्तान के विरुद्ध) जबकि दूसरे ओपनर डेसमंड हेन्स ने जून 1980 के बाद से कोई भी 100 नहीं बनाया था। जब ग्रीनिज बैटिंग के लिए आए तो कोई नहीं जानता था कि उनके अंदर क्या चल रहा है- हां ये भारत के फील्डर ने भी महसूस किया कि वह चुप हैं और अपनी आदत के मुताबिक़ मुस्कुरा भी नहीं रहे। दूसरे दिन, बचे कुछ मिनट में वेस्टइंडीज का स्कोर 23/0 था।
तीसरे दिन तो ये जोड़ी जम ही गई और ग्रीनिज ने हेन्स के साथ पहले विकेट के लिए 296 रन जोड़ दिए। गर्दन में अकड़न के कारण कपिल सिर्फ 4 ओवर ही फेंक पाए और ग्रीनिज और हेन्स ने मदन लाल, शास्त्री, 17 साल के एल शिवरामकृष्णन और 38 साल के एस वेंकटराघवन की गेंदबाजी को कोई भाव नहीं दिया।
134 पर, ग्रीनिज ने टेस्ट क्रिकेट में अपना पिछला सबसे बड़ा स्कोर पार कर लिया। दिन का खेल ख़त्म होने वाला था जब भारत ने दूसरी नई गेंद ली। कपिल नहीं थे तो यशपाल शर्मा और मदन ने इसका इस्तेमाल किया और यशपाल को हेन्स का विकेट मिला (टेस्ट क्रिकेट में उनका एकमात्र विकेट)- हेन्स ने 136 रन बनाए। दिन का खेल खत्म होने पर विंस्टन डेविस (नाइट-वॉचमैन) क्रीज पर थे ग्रीनिज के साथ और स्कोर 301/1 था- ग्रीनिज 375 मिनट में 14 चौकों और 1 छक्के के साथ 154* पर थे।
चौथी सुबह पारी में आगे खेलने जब विव रिचर्ड्स आए डेविस के साथ तो सब हैरान थे- ग्रीनिज कहां हैं? तब पता चला कि ग्रीनिज की 2 साल की बेटी रिया किडनी इन्फेक्शन से बहुत बीमार है। विंस्टन डेविस ने एक इंटरव्यू में बाद में बताया कि टेस्ट शुरू होने तक किसी को भी उनकी बेटी की बीमारी के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था। दिन का खेल खत्म ही हुआ था कि ग्रीनिज को खबर मिली कि तकलीफ बहुत ज्यादा है और अब वे अपने आप को रोक नहीं पाए और बारबाडोस भागे।
दूजों (110) और लॉयड (106) ने भी पिच का फायदा उठाया और वेस्टइंडीज ने 550 रन बनाए। टेस्ट ड्रा रहा पर उससे पहले मोहिंदर अमरनाथ ने भी 100 बना दिया था। ग्रीनिज को मैन ऑफ द मैच चुना लेकिन वह अवार्ड लेने वहां नहीं थे और न ही इस हालत में थे कि इस अवार्ड का जश्न मनाते। टेस्ट खत्म होने के दो दिन बाद रिया का देहांत हो गया।
टेस्ट क्रिकेट में ऐसी स्थिति पहली बार आई थी। टेस्ट ख़त्म होने के समय जो स्कोर कार्ड था उसमें ग्रीनिज को रिटायर्ड लिखा था। इस मसले की, क्रिकेट लॉ बनाने के लिए जिम्मेदार, एमसीसी में भी चर्चा हुई और वहां एक कमेटी ने फैसला दिया कि हालात को देखते हुए ग्रीनिज को स्कोर कार्ड में 'रिटायर्ड नॉट आउट' लिखा जाए और वे अब तक अकेले ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके नाम पर टेस्ट के स्कोर कार्ड में ऐसी एंट्री है।
इस के सिर्फ 20 दिन बाद, ग्रीनिज ने साउथम्प्टन में वूस्टरशायर के विरुद्ध विरुद्ध हैम्पशायर के लिए काउंटी चैंपियनशिप मैच में 116 रन बनाए और 3 दिन बाद केंट के विरुद्ध 68 रन। लगभग एक महीने में, वह प्रूडेंशियल वर्ल्ड कप में खेल रहे थे। उस दौर के 16 टेस्ट में, ग्रीनिज ने 63 के औसत और 5 शतक के साथ 1197 रन बनाए।
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