युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा का आधिकारिक तौर पर तलाक हो गया है, लेकिन इस अलगाव के पीछे की असली वजह अब सामने आ रही है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने खुलासा किया है कि शादी के बाद से ही धनश्री और चहल के बीच तनाव बढ़ने लगा था।
मां-बाप से अलग होने का दबाव:
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शादी के बाद से ही धनश्री वर्मा चाहती थीं कि चहल अपने माता-पिता और हरियाणा के घर को छोड़कर मुंबई में उनके साथ शिफ्ट हो जाएं। हालांकि, चहल ने अपने माता-पिता और परिवार से दूरी बनाने से मना कर दिया। एक बेटा कैसे अपने मां-बाप को छोड़ सकता है? यह सवाल हर भारतीय परिवार के बेटे से पूछा जा सकता है। लेकिन क्या इसे फेमिनिज्म का नाम देना सही है?
"फेमिनिज्म या ज़िद - रिश्ते की बर्बादी?"
आजकल फेमिनिज्म के नाम पर कई लड़कियां अपने अधिकारों का गलत फायदा उठा रही हैं। समाज में लड़कों पर ऐसे दबाव बनाना, जहां उन्हें अपने माता-पिता से दूर रहना पड़े, क्या सही है? क्या परिवार से दूर होना ही शादीशुदा ज़िंदगी का सही मायना है?
चहल का फैसला और फैंस का समर्थन:
युजवेंद्र चहल ने अपने परिवार के साथ रहने का फैसला किया, जिसे हर भारतीय बेटे का हक है। इस मामले में फैंस ने भी चहल का समर्थन किया है और धनश्री वर्मा पर सवाल उठाए हैं। तलाक के बाद से धनश्री लगातार अपने म्यूजिक एल्बम को प्रमोट कर रही हैं, जो दर्शाता है कि शायद उनके लिए करियर और प्रसिद्धि परिवार से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।
क्या सोचते हैं आप:
आपको क्या लगता है? क्या एक बेटा अपने मां-बाप से अलग होकर किसी की ज़िद के आगे झुक जाए या फिर अपने परिवार का साथ निभाए? फेमिनिज्म के नाम पर हो रहे इस तरह के अत्याचार को क्या कहा जाए?
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