छोटा कद, अनोखा बैटिंग स्टाइल, कहानी उस क्रिकेटर की जिसे 7 करोड़ के सवाल कारण 70 साल बाद मिली पहचान

 


Gogumal Kishenchand KBC: केबीसी पर जब भी कोई क्रिकेट से जुड़ा सवाल पूछा जाता है तो उस सवाल की चर्चा अगले कई दिन तक सोशल मीडिया पर होती है। नतीजा- वह सवाल, बिना किसी इनाम, एक मजेदार चर्चा बन जाता है। अगर सवाल 7 करोड़ रुपये का हो तब तो कहना ही क्या पर इससे ये भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये कितना मुश्किल सवाल रहा होगा? वास्तव में ऐसे एक सवाल ने क्रिकेट पंडितों को भी, बिना गूगल बाबा की मदद के, बोल्ड कर दिया था। इसलिए अगर 2019 के केबीसी के 11वें सीजन में, इसके इतिहास में पहली बार पूछे गए 7 करोड़ रुपये के सवाल का जवाब बिहार से आए सनोज राज न दे पाए तो कोई हैरानी की बात नहीं। अब आते हैं उस 7 करोड़ रुपये वाले सवाल पर :

सवाल : वह भारतीय गेंदबाज कौन था, जिसकी गेंद पर ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज डॉन ब्रैडमैन ने सिंगल लेकर अपना 100वां फर्स्ट क्लास 100 पूरा किया था?
ऑप्शन थे : A. बाका जिलानी (Baqa Jilani), B. कमांडर रंगाचारी (Commandur Rangachari), C. गोगुमल किशनचंद (Gogumal Kishenchand) और D. कंवर राय सिंह (Kanwar Rai Singh)।

क्विट के फैसले के बाद जवाब के अनुमान पर सनोज ने ऑप्शन B कमांडर रंगाचारी को चुना जो गलत जवाब निकला। सही जवाब है- गोगुमल किशनचंद। ये सवाल आज तक चर्चा में है और मजे की बात ये है कि मौजूदा क्रिकेट प्रेमियों के लिए ये सवाल ही, भारत के पुराने टेस्ट क्रिकेटर किशनचंद का सबसे बड़ा परिचय बन गया। अब जबकि भारत का एक और ऑस्ट्रेलिया टूर नजदीक आ रहा है तो ये ये सवाल इस भारत के ऑस्ट्रेलिया टूर के सबसे यादगार किस्सों में से एक है। 

1947 में भारत की टीम ऑस्ट्रेलिया टूर पर गई- आजादी मिलने के बाद पहला क्रिकेट टूर। उसी में, टेस्ट शुरू होने से पहले जो मैच खेले, उन्हीं में से एक था सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 14-18 नवंबर तक इंडिया इलेवन और ऑस्ट्रेलिया इलेवन के बीच ये मैच। भारत की टीम दूसरी सुबह 326 (गुल मोहम्मद 85, किशनचंद 75*) पर आउट हुई। ब्रैडमैन के 100वें 100 को देखने की उम्मीद में उस दिन, पहले दिन की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा दर्शक स्टेडियम में थे।उनकी उम्मीद सही साबित हुई और जवाब में मेजबान टीम ने 380 रन बनाए जिनमें से 172 (कई जगह ये स्कोर 171 लिखा है) रन (18 चौके,1 छक्का) तो अकेले डॉन ब्रैडमैन के थे और यही उन का 100वां फर्स्ट क्लास 100 था। 

जब डॉन ब्रैडमैन चाय से कुछ मिनट पहले 99 पर थे तो भारतीय कप्तान लाला अमरनाथ ने, सभी को हैरान करते हुए, अपने पार्ट-टाइम गेंदबाज किशनचंद को गेंद थमा दी। ब्रैडमैन ने पहली कुछ गेंद ध्यान से खेलने के बाद मिड-ऑन पर ड्राइव से बनाए सिंगल के साथ अपना 100 पूरा कर लिया पर वे भी लाला अमरनाथ की चालाकी को मान गए क्योंकि ब्रैडमैन को ये कतई अंदाजा नहीं था कि किशनचंद कैसी गेंद फेंकते हैं? अब रिकॉर्ड में ये है कि वे लेग-ब्रेक गेंदबाज थे।  

वह 15 नवंबर 1947 का दिन था और वे 100 फर्स्ट क्लास 100 बनाने वाले पहले ऑस्ट्रेलियाई बने और ऐसे पहले भी जिसने हार वाले मैच में ये रिकॉर्ड बनाया- उनके कुल 117 फर्स्ट क्लास 100 में से 8 हार वाले मैच में बने और ये उनमें से आख़िरी था। भारत ने दूसरी पारी 304/9 पर समाप्त घोषित (किशनचंद 63*, चंदू सरवटे 58) की और ऑस्ट्रेलिया को 251 रन का लक्ष्य दिया। वीनू मांकड़ (8-84) की बदौलत ऑस्ट्रेलिया टीम सिर्फ 203 रन पर ही आउट हो गई और मेहमान टीम ने टूर पर अपनी पहली जीत 47 रन से दर्ज की। इससे बहरहाल टेस्ट सीरीज़ पर कोई फर्क नहीं पड़ा और उसे  0-4 से हार गए। 

नोट कीजिए किशनचंद ने मैच में, टॉप क्लास गेंदबाजी की पर साथ ही 75* और 63* बनाए पर वे चर्चा में रहे उस गेंदबाज के तौर पर जिसकी गेंद को खेलते हुए ब्रैडमैन ने अपना 100वां 100 बनाया। उनके 1940 से 1947 तक के करियर में 47.91 औसत से 7 हजार से ज्यादा फर्स्ट क्लास रन के रिकॉर्ड के बावजूद वे इस एक ओवर के लिए ज्यादा याद किए जाते हैं। कई साल बाद लाला अमरनाथ से एक इंटरव्यू में पूछा गया था कि उन्होंने क्या सोचकर किशनचंद को उस मौके पर गेंदबाजी के लिए बुलाया तो उनका जवाब बड़ा साफ़ था- 'जब मुझे नहीं मालूम था कि किशनचंद कैसी गेंदबाजी करते हैं तो ब्रैडमैन को कैसे मालूम होता?' इस बात का जिक्र राजिंदर अमरनाथ की अपने पिता पर लिखी किताब में भी है। 

गोगुमल किशनचंद हरिसिंघानी (Gogumal Kishenchand Harisinghani) की और बात करें तो रिकॉर्ड में ये भी दर्ज है कि उनकी बैटिंग स्टाइल कॉपी-बुक नहीं थी पर चूंकि रन बना रहे थे इसलिए किसी कोच ने इसके साथ छेड़छाड़ नहीं की। एक समय उन्हें विजय मर्चेंट और विजय हजारे जैसी टेलेंट वाला बल्लेबाज गिनते थे पर दूसरे वर्ल्ड वॉर ने उनकी क्रिकेट के बेहतरीन साल उनसे छीन लिए। सिर्फ 5 टेस्ट खेले जिनमें बनाए सिर्फ 89 रन उनकी टेलेंट का सही परिचय नहीं हैं। वे छोटे कद के थे। उनके 5 टेस्ट के करियर में एक बड़ी अनोखी बात देखने को मिलती है- इन 5 में से हर टेस्ट में वे कम से कम एक बार जरूर 0 पर आउट हुए। 

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