हाल ही में टीम इंडिया को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मैच खेलते देखा गया था। इस मुकाबले में भारत को ऑस्ट्रेलियाई टीम ने करारी शिकस्त दी थी। फॉर्म में होने के बावजूद रविचंद्रन अश्विन को जगह नहीं मिली थी।
क्यों कर दिया जाता है प्लेइंग 11 से ड्रॉप?
ऐसे में जब टाइम्स ऑफ इंडिया के एक रिपोर्टर ने रविचंद्रन अश्विन से प्लेइंग 11 से बार-बार बाहर किए जाने को लेकर सवाल किया तो स्टार ऑलराउंडर ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वह टीम में हैं या नहीं।
रविचंद्रन अश्विन ने कहा कि,
“मैं इसका उत्तर कैसे ढूंढ सकता हूं… मेरे लिए यह सोचने की कोशिश करना मूर्खता है कि ऐसा क्यों हुआ और यह कैसे बेहतर हो सकता था। इसे देखने का दूसरा तरीका यह है कि ‘कितने लोगों ने 94 टेस्ट खेले हैं?’ मुझे खुशी है कि मैं ऐसा कर पाया। हाल के दिनों में ऐसा हुआ है कि टीम के पास दो क्वालिटी स्पिनर हैं रविंद्र जडेजा और मैं। सौभाग्य या दुर्भाग्य से, दोनों बल्लेबाजी कर सकते हैं। जडेजा की बैटिंग फॉर्म काफी अच्छी रही है और इसी वजह से उन्हें मौका मिला है।”
मैं नकारात्मकता से दूर रहता हूं..
इस दौरान अश्विन ने बताया कि वह इस बात की कतई भी चिंता नहीं करते हैं कि उन्हें टीम में मौका क्यों नहीं मिला। वह खुद को नकारात्मकता से दूर रखते हैं।
स्टार ऑलराउंडर ने कहा कि,
“मैं टीम मैनेजमेंट के फैसलों में उंगली नहीं डाल सकता और मैं यह पता लगाने की कोशिश नहीं करना चाहता कि मुझे क्यों बाहर किया गया, क्योंकि यह फिर से मेरे कंट्रोल में नहीं है। 2018-19 के बाद से, जब मैं मानसिक और शारीरिक बदलाव से गुजरा, तो मैंने नकारात्मकता को खुद से दूर रखा। जब मैं ड्रेसिंग रूम में होता हूं तो पूरा योगदान करने की कोशिश करता हूं। यदि मेरा इगो बहुत अधिक है तो मैं ड्रेसिंग रूम में बड़ा सफेद हाथी बन जाता हूं। मैं वह बनना नहीं चाहता। अगर मैं खेल रहा हूं तो मैं जीतने के लिए खेल रहा हूं, अगर मैं नहीं खेल रहा हूं, तो मैं भारत की जीत के लिए चीयर करता हूं।”
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