ZIM vs PAK: इस अकेले भारतीय से हार गया पूरा पाकिस्तान, जिम्बाब्वे की जीत में इस दिग्गज भारतीय का है सबसे बड़ा हाथ


इन दिनों चल रहे ICC टी20 वर्ल्ड कप में आए दिन कमाल के मैच देखने को मिल रहे हैं। कमजोर मानी जा रही टीमें बड़ी टीमों को टक्कर दे रही हैं। हाल ही में जिम्बाब्वे (ZIM vs PAK) की टीम ने ऐसा करके दिखाया है। 

गुरूवार को टी20 विश्व कप के रोमांचक मुकाबले में जिम्बाब्वे ने पाकिस्तान को एक रन से हराकर कमाल कर दिया। जिम्बाब्वे ने 131 रन के लक्ष्य का बचाव किया और पाकिस्तानी बल्लेबाजों के लगातार अंतराल पर विकेट झटककर आठ विकेट पर 129 रन पर रोक दिया। 

जिम्बाब्वे के इस मुकाम के पीछे इस भारतीय का हाथ

जिम्बाब्वे की टीम का कुछ समय से वनडे और टी20 में लाजवाब प्रदर्शन रहा है। फिर अब टी20 वर्ल्ड कप के सुपर 12 में भी अपनी जगह बनाई और पाकिस्तान जैसी मजबूत टीम के खिलाफ जीत भी हासिल करी। 

टीम की इस कामयाबी के पीछे भारत के ही पूर्व क्रिकेटर और पूर्व कोच लालचंद राजपूत का हाथ रहा है। लालचंद राजपूत भारत के 2007 में टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के कोच भी रहे थे। लालचंद राजपूत जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम के हेड कोच है। 

4 सालों में ऊंचा उठा जिम्बाब्वे की टीम का स्तर

लालचंद राजपूत ने पाकिस्तान के खिलाफ मिली जीत के बाद बताया कि वह जिम्बाब्वे के साथ पिछले कुछ सालों से जुड़े हैं और ये टीम काफी अच्छा कर रही है। उन्होने बताया कि जब वो 2018 में टीम के साथ जुड़े तो ऐसा लग रहा था कि टीम काफी कमजोर हो गई है। हालांकि उनके मुताबिक कुछ समय से टीम काफी बेहेतर हुई है। 

पाकिस्तान के खिलाफ 2018 में खेली गई एकदिवसीय सीरीज को लेके उन्होंने कहा,“मैच से एक दिन पहले मुझे जिम्बाब्वे क्रिकेट ने सूचित किया कि सीन इर्विन, क्रेग विलियम्स, सिकंदर रजा और ब्रेंडन टेलर बोर्ड के साथ चल रहे वेतन विवाद के कारण बाहर हो गए हैं। मैं हैरान था। हम 2019 वनडे विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहे और फिर निलंबित हो गए। वह सबसे खराब दौर था। इसलिए मुझे केवल 4 सालों में इस परिवर्तन पर गर्व है।”

राजपूत ने आगे कहा, “मेरा सपना उन्हें ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप के लिए क्वालीफाई करते देखना था। यह सोने पर सुहागा है और मुझे अपने लड़कों पर गर्व है।”

आगे बात करते हुए उन्होंने सिकंदर रजा की तारीफ करी और बताया, “सिकंदर एक भावुक लड़का है। वह देर से 36 साल की उम्र में निखर रहा है। मुझे याद है कि कुछ साल पहले जब मैंने पद संभाला था तो उससे पूछा था, ‘तूने कितने मैच जिम्बाब्वे को जिताएं हैं?’ उसने लंबे समय से शतक नहीं बनाया था। वह 40 के आसपास रन और कभी कभी अर्धशतक बना रहा था जिससे कि टीम में उसकी जगह सुरक्षित रही।”

लालचंद राजपूत ने आगे कहा, “मैंने उनसे कहा कि अगर आप सीनियर्स आगे नहीं आओगे और मैच जिताने में अधिक जिम्मेदारी नहीं लेंगे तो जिम्बाब्वे के लिए खेलने का कोई मतलब नहीं है। अगर टीम को हारना है तो मैं युवाओं को चुनना पसंद करूंगा और परिणामों के बारे में नहीं सोचूंगा। इसने काम किया क्योंकि उनकी मानसिकता बदल गई।”

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