आज हम टीम इंडिया के उन 5 खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बीच की दरार शायद कभी खत्म नहीं हुई। भारतीय टीम
1. लाला अमरनाथ और महाराज कुमार ऑफ विजयनगरम
लाला अमरनाथ को भला कौन नहीं जानता है। उन्होंने 1933-34 में भारत दौरे पर आयी इंग्लैंड की टीम के खिलाफ बंबई में खेले गये टेस्ट में डेब्यू किया था। दूसरी पारी में उन्होंने 118 रन बना कर टीम इंडिया की तरफ से टेस्ट क्रिकेट में पहला शतक ठोकने का अनूठा गौरव हासिल किया था। बात उस समय की है जब 1936 में महाराज कुमार ऑफ विजयनगरम ‘विज्जी’ की कप्तानी में भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर गयी थी। वहां पर लाला और ‘विज्जी’ के बीच इस कदर ठनी कि लाला को दौरे के बीच में ही स्वदेश भेज दिया गया। इस वजह से उनके ऊपर ‘बैड ब्वॉय ऑफ इंडियन क्रिकेट’ का ठप्पा भी लग गया था। उनका और अन्य कई लोगों का कहना था कि टीम से हटा कर वापस भेजने का फैसला अनुशासनात्मक नहीं बल्कि टीम की राजनीति का नतीजा था.
2. एमएस धोनी और वीरेंद्र सहवाग
इसमें कोई दो राय नहीं कि धोनी को टीम इंडिया के एक बेहतरीन कप्तान के तौर पर जाना जाता है। वहीं सहवाग को भी बेशक दुनिया के बेहतरीन टेस्ट ओपनर के तौर पर जाना जाता है। इन दोनों महान खिलाड़ियों को बीच कभी अच्छा तालमेल हुआ करता था। धीरे-धीरे दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गई। इसकी शुरुआत 2012 के ऑस्ट्रेलिया में होने वाले ट्राई सीरीज में के दौरान हुई जब धोनी ने ये निर्णय लिया की तीन खिलाड़ियों (सचिन,सहवाग,गंभीर) में से किसी एक को रेस्ट देंगे। इसके पीछे की वजह उनकी धीमी फील्डिंग को बताया गया। हालांकि अगले ही मैच में सहवाग ने बेहतरीन कैच तो पकड़ा ही सीधे धोनी को तक ये संदेश दे पहुंचा दिया कि वे आज भी फील्डिंग में चुस्त हैं। हालांकि सहवाग और धोनी की तालमेल ज्यादा नहीं चली और सहवाग को टीम से ड्रॉप कर दिया गया।
3. राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर
आज भी फैंस राहुल के उसSet featured image निर्णय को नहीं भुला पाए हैं जब उन्होंने सचिन की डबल सेंचुरी नहीं होने दी और पारी को डिक्लेयर कर दिया था। सचिन ने इस वाक्ये का जिक्र अपनी बायोग्राफी Playing it My Way में भी किया है। 29 मार्च 2004, भारतीय फैंस के लिए एक ना भूलने वाला दिन है। इसी दिन टीम इंडिया के उस समय के कप्तान राहुल द्रविड़ ने भारतीय पारी घोषित करने का फैसला किया, जबकि दिग्गज सचिन तेंदुलकर तब 194 रन बनाकर क्रीज पर जमे थे। सचिन ने कहा था कि उन्हें 2 ओवर पहले ही वापस बुलाया गया था, जबकि पहले ऐसी बात नहीं हुई थी। हालांकि द्रविड़ ने इस घटना के बाद अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि उनके लिए वह मैच जीतना जरूरी था और उन्होंने टीम के हित में फैसला लिया। लेकिन बात जब सिर्फ 2 ओवर की आती है तो पारी घोषित करने की बात नहीं पचती।
4. सुनील गावस्कर और कपिल देव
अपने समय के दुनिया के महान बल्लेबाजों में शुमार सुनील गावस्कर और महानतम ऑलराउंडर्स में से एक कपिल देव के बीच भी रिश्तों में दरार आने की खबर खूब चली। दरअसल, हुआ यूं कि 1984 में जब कपिल देव अपने टॉप फॉर्म पर थे, तब उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में टीम इंडिया का हिस्सा नहीं बनाया गया। यह भारत-इंग्लैंड सीरीज का तीसरा टेस्ट था और कोलकाता में होने वाला था।
फैंस के लिए इस बात को हजम करना और भी मुश्किल हो रहा था कि एक साल पहले देश को विश्व कप दिलाने वाले कपिल देव को टीम से बाहर कर दिया गया। हालांकि, इसके लिए पिछले टेस्ट में उनके द्वारा खेला गया खराब शॉट का हवाला दिया गया। बताया जाता है कि कपिल देव के इस गैरजिम्मेदाराना शॉट और बर्ताव से गावस्कर काफी नाराज थे।
5. सचिन तेंदुलकर और मोहम्मद अजहरुद्दीन
1999 विश्व कप में टीम इंडिया का प्रदर्शन काफी खराब रहा। यही वजह थी कि मोहम्मद अजहरुद्दीन को कप्तानी से हटा दिया गया और तेंदुलकर को टीम की कमान सौंपी गई। अजहर टीम से भी बाहर भी हो गए थे। यही वजह थी कि तेंदुलकर और अजहर के रिश्ते में खटास आई। दोनों खिलाड़ियों के बीच मतभेद की खूब चर्चा भी रही। 1999-2000 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर सचिन अगवाई में गई टीम इंडिया को करारी हार झेलनी पड़ी थी। इस टीम में अजहर शामिल नहीं थे।
इसके बाद अजहर की टीम में वापसी की चर्चा होने लगी तो कई खिलाड़ियों ने उनको टीम में शामिल करने का विरोध किया था। इसके बाजवूद जब अजहर को टीम में शामिल किया गया तो सचिन तेंडुलकर ने कप्तानी छोड़ दी थी। हालांकि सचिन ने कभी भी इस बात का जिक्र नहीं किया कि उन्होंने अजहर की वजह से टीम की कप्तानी को छोड़ी। लेकिन एक्सपर्ट्स की यह राय थी सचिन ने इसी वजह से सचिन ने कप्तानी छोड़ी थी।
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