टीम इंडिया की वो इकलौती वनडे जीत जब थम गई थीं सभी की सांसें

 


क्रिकेट में किसी भी टीम के लिए लक्ष्य का पीछा करना कभी आसान काम नहीं रहा है, लेकिन टी-20 फॉर्मेट आने के बाद अब कई टीमों के लक्ष्य का पीछा करने की रणनीति में बदलाव देखने को मिले हैं। जिसके चलते पिछले कुछ सालों में वनडे क्रिकेट में आसानी से 300 से ज्यादा रनों का टीमों ने सफलतापूर्वक पीछा किया। 

हालांकि यदि यह मैच किसी टूर्नामेंट का फाइनल मैच होता है, तो वहां पर मानसिक दबाव भी लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम पर साफ तौर पर दिखाई देता है। भारतीय टीम के वनडे फॉर्मेट में लक्ष्य का पीछा करने की रणनीति को लेकर बात की जाए तो वह बेहद शानदार रही है और टीम ने सबसे ज्यादा इस फार्मेट में 300 से अधिक के लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा किया है। 

हालांकि भारतीय टीम भी कई बार बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में लक्ष्य का पीछा करते हुए दबाव में दिखी है। जिसका एक उदाहरण साल 2018 में बांग्लादेश के खिलाफ खेला गया एशिया कप का फाइनल मैच है। जिसमें भारतीय टीम ने मैच की आखिरी गेंद पर जीत हासिल की थी और यह अभी तक किसी वनडे मैच में टीम इंडिया की लक्ष्य का पीछा करते हुए आखिरी गेंद पर आई एकमात्र जीत है। 

टॉस जीत बांग्लादेश को 222 रन पर समेटा

इस मैच में भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। बांग्लादेश के लिए ओपनिंग बल्लेबाज लिटन दास ने 121 रनों की शतकीय पारी जरूर खेली लेकिन टीम के बाकी खिलाड़ी उनका साथ नहीं दे सके। जिसके चलते पूरी टीम 48.3 ओवरों में 222 रन बनाकर सिमट गई। टीम इंडिया के लिए कुलदीप यादव ने सबसे ज्यादा 3 तो वहीं केदार जाधव ने 2 विकेट अपने नाम किए थे। 

नियमित अंतराल पर गिरते रहे विकेट 

सभी को उम्मीद थी कि भारतीय टीम इस मैच को जल्द खत्म करके एशिया कप को अपने नाम करेगी। लेकिन 223 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने अपना पहला विकेट सिर्फ 35 के स्कोर पर शिखर धवन के रूप में गंवा दिया। इसके बाद बल्लेबाजी के लिए उतरे अंबाती रायडू भी सिर्फ 2 बनाकर पवेलियन लौट गए। 

वहीं दिनेश कार्तिक के साथ कप्तान रोहित शर्मा ने पारी को संभालते हुए तीसरे विकेट के लिए 37 रनों की साझेदारी की और वह भी 48 के निजी स्कोर पर रुबेल हुसैन का शिकार बन गए। लगातार विकेट गिरने से रनों की गति पर भी ब्रेक लगता दिखा और फाइनल मैच का दबाव भारतीय पारी पर साफ तौर पर देखने को मिल रहा था। 

महेंद्र सिंह धोनी और कार्तिक ने चौथे विकेट के लिए 87 गेंदों में 54 रनों की साझेदारी की जिसके बाद लग रहा था, कि दोनों मिलकर टीम को जीत दिलाकर वापस आएंगे। लेकिन कार्तिक और धोनी के विकेट जल्दी गंवाने के चलते टीम इंडिया पर फिर से दबाव साफ तौर पर देखने को मिल रहा था। 

वहीं केदार जाधव भी बल्लेबाजी के दौरान तकलीफ के चलते वापस पवेलियन लौट गए और फिर रविंद्र जडेजा ने भुवनेश्वर कुमार के साथ मिलकर 7वें विकेट के लिए 57 गेंदों में महत्वपूर्ण 45 रनों की साझेदारी करके टीम को मैच में बनाए रखने का काम किया। इसके बाद 212 और 214 के स्कोर पर जडेजा और भुवी दोनों ही पवेलियन लौट गए और मैच एक बार फिर से मैच बांग्लादेश के पक्ष में जाते हुए दिखाई दिया। मुश्किल हालात में जाधव मैदान पर फिर से बल्लेबाजी करने के लिए आए जिसके बाद भारतीय टीम को आखिरी ओवर में जीत के लिए 6 रनों की दरकार थी।

महमुदुल्लाह  के इस ओवर की पहली 3 गेंदों पर 4 रन आए। चौथी गेंद खाली जाने से आखिर 2 गेंदों पर जीत के लिए 2 रनों की दरकार थी। ओवर की पांचवीं गेंद पर कुलदीप यादव ने एक रन निकालकर मैच को बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया। आखिरी गेंद पर लेग बाई के 1 रन आने से भारतीय टीम ने इस मैच को 3 विकेट से अपने नाम कर लिया। इस के साथ ही यह टीम इंडिया के वनडे इतिहास का पहला ऐसा मैच बन गया जिसमें उन्होंने मैच की आखिरी गेंद पर लक्ष्य को हासिल किया। 

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